कितना चाहा स्वयं को दर्पण यूँ ना छुपा तू जानता है उसे दर्पण तू बता..? कितना चाहा स्वयं को दर्पण यूँ ना छुपा तू जानता है उसे दर्पण तू बता..?
यही ख़्याल ख़्याल न होकर रूबरू कुछ कह देता। यही ख़्याल ख़्याल न होकर रूबरू कुछ कह देता।
तीन रंगों को, दर्शाता है। तीन रंगों को, दर्शाता है।
मेरी कलम में स्याही नहीं रौशनाई है। मेरी कलम में स्याही नहीं रौशनाई है।
केशरिया में वीरों का बलिदान भरा है। केशरिया में वीरों का बलिदान भरा है।